Bhagya laxmi zee tv serial 1december 2021 written update in hindi
भाग्य लष्मी ज़ी टीवी सीरियल का लिखित एपिसोड हिंदी में 1 दिसम्बर 2021 का
Bhagya laxmi zee tv serial
सीरियल भाग्य लष्मी शुरू होता है जब विराज के दादा जी लष्मी से कहते है की तुम मेरी मदद कर सकती हो लष्मी कहती है किए में आपकी मदद कर सकती हु विराज के दादा जी कहते है की देखो मलिश्का तुम्हारी दोस्त है उसे एक अच्छा पति मिल जायगा और विराज की एक अच्छी पत्नी तो इस तरह हम दोनों एक दूसरे की मदद कर सकते है मगर विराज ने तो मना कर दिया है अब में तो हु बूढ़ा में तो यही चाहता हु की मेरे सामने विराज का घर बस जाय कल को मुझे कुछ हो जाय तो लष्मी कहती है आप एसी बाते मत कीजिये आपने मुझे बेटी मना है और आप मेरे दादू हुई तो अब आप मारने की बाते मत कीजिये दादा जी कहते है की इंसान की आखिरी मानिल तो मौत ही है
मगर तू विराज को समझा के वो है करदे तू करेगी ना उससे बात और लष्मी है कर देती है दादा जो लष्मी को लेकर विराज के पास आ जाते है
और लष्मी इशारे से विराज को बुलाती है
इधर ऋषि मलिश्का से बात करता है की तूने ये शादी के लिए है क्यों किया मलिश्का कहती है तुम हरी वजह से में नहीं चाहती थी मगर है किया डैड की वजह से उन्होंने मुझे सच दिखया जो में देख कर भी नहीं देखना चाहती थी तुम्हारा और लष्मी का सच यही की तुम लष्मी से प्यार करते हो मुझसे नहीं ऋषि मलिश्का को समझाता है की तुमने ही ये शादी कराई थी ना तुम चाहती थी की में लष्मी से शादी करू फिर मेरी गलती कैसे है
इधर विराज से लष्मी बात करती है और उसको समझती है की हमारी लाइफ में एक खास होता है जिस के लिए हम घर आते है और घर में सकूँन महसूस करते है और वो घर जन्नत बन जाता है विराज लष्मी की बातो से सहमत होता है और कहता है ठीक है मगर तुम्हे मलिश्का को अपने जैसी सारी चीज़े सिखानी होगी तब में लष्मी कहती है तो लड़के की हां है और विराज है कर देता है लष्मी से कहता है की लड़के ने है करदी मगर मलिश्का भी मुझसे शादी नहीं करना चाहती तुम उससे बात करना और तुम ऋषि को बोलना वो ऋषि की बहुत सुनती है उसकी बात नहीं टालेगी
विराज अपने दादा जी के पास आता है और कहता है आपको क्या लगता है मेरे हा है दादा जी उसको देखते है और वियज खुश हो कर कहता है की हा मेरी हा है दादा जी खुश हो जाते है और अभय से कहते है देखा मना लिए ना लष्मी है ही एसी बहुत अच्छी दुसरो के लिए हज़ार दुःख उठा सकती है मगर धोका बर्दाश्त नहीं करसकती सरस्वती की तरह नरम है हार बात हसकर कर करई है मगर धोका और झूठ नहीं सहेगी जब पियर करेगी तो बस पियर करेगी मगर इसकी नफरत उसके लिए बुरा होगा जिस से ये नफरत करेगी अभय कहता है आप ये सब क्यों कह रहे हो दादा जी कहते है क्यों की ये है ही एसी
इधर ऋषि मलिश्का से नट कर रहा होता है मलिश्का कहती में नहीं चाहती थी तुम्हारी शादी हो मगर तुम्हारी माँ की वजह से हा की थी क्यों की मुझे भरोसा था की तुम बस मेरे रहोगी मुजबे क्या पाता था के तुम लष्मी से प्यार करने लगो गे ऋषि कहता है में तुम से प्यार करता हु में क्या करू जो तुम को यक़ीन हो जाय तब मलिश्का कहती के तुम्हे लष्मी से अपनी शादी तोड़नी होगी अभी और मुझसे शादी करनी होगी ऋषि कुछ सोचता है और हा कर देता है और मलिश्का खुश हो जाती है और कहती है की में बहुत खुश हु और ऋषि के गले लग जाती है तभी लष्मी आती है और कहती है तुम को क्या लगा तुम मुझसे ऐसे बात करो गे और मुझे बेवकूफ बना लोगे ऋषि और मलिश्का कहते है तुम जो समझ रही हो ऐसा नबी है लष्मी कहती है में सब समझ रही हु क्या चल रहा है